चलना सिखा दिया है
चलना सिखा दिया है, गलना सिखा दिया है।
घनघोर आँधियों में, जलना सिखा दिया है॥
हमको मिला हुआ है, गुरुदेव का महाबल।
माँ ने हमें दिया है, अपना पुनीत आँचल।
इस प्यार के सहारे, ढलना सिखा दिया है॥
सुख- दुःख यहाँ है दोनों, मैदान और दल- दल।
संसार एक पथ है, जिसमें न फूल केवल।
काँटों भरी डगर में, चलना सिखा दिया है॥
चारों तरफ पड़े हैं, छल- छद्म पाँव डाले।
आस्तीन में छिपे हैं, अपने ही नाग काले।
उनकी चुनौतियों को, दलना सिखा दिया है॥
फूलों की सेज के तो, इच्छुक सभी यहाँ पर।
लेकिन प्रकाश के कण, दिखते नहीं कहीं पर।
भीषण अभाव में भी, पलना सिखा दिया है॥
साधन भरे पड़े हैं, पर साधना नहीं है।
भगवान तो वही हैं, आराधना नहीं है।
अपनी उपासना को, फलना सिखा दिया है॥