चलो रे भाई दीपक
चलो रे भाई दीपक यज्ञ करें॥
नगर- नगर में गाँव- गाँव में, चलकर धूम मचा दें।
युग निर्माण योजना की, आवश्यकता समझा दें॥
दीपयज्ञ की ज्योति निराली, घर घर में बिखरें॥
अपना सभी सुधार करें तो, सुधर जाय जग सारा।
घर- घर दीप जले, मिट जाये घर- घर का अंधियारा॥
दीप से दीप जलाकर भाई, दीपक दान करें॥
तन चाहे श्रम से मैला, पर न रहे मन मैला।
फैलाये सद्भाव प्रेम से, छोड़ प्रपंच झमेला॥
ऊँच- नीच का भेद छोड़कर, सबसे प्रेम करें॥
छोड़ अंध विश्वास रूढ़ियाँ, आगे कदम बढ़ायें।
कुरीतियों और कुप्रथाओं से, पीछा सभी छुड़ायें॥
बुद्धि उचित समझें जिसकी, उसका सम्मान करें॥
मिल जुलकर पुरुषार्थ करें और, बिगड़ी दशा सुधारें।
सब ही मिलकर भारत माँ को, स्वर्ग समान बनायें॥
दीपयज्ञ में देववृत्ति का, शंखनिनाद करें॥