गीत माला भाग ५

चैन आता नहीं प्यार

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चैन आता नहीं प्यार
चैन आता नहीं प्यार बाँटे बिना,
क्या करूँ प्यार की धार रुकती नहीं।
कौन कितना अभी तक इसे पी सका,
यह पता तो नहीं किन्तु चुकती नहीं॥
स्नेह के स्रोत से टूटते हर समय,
छल- छलाकर छलक छूटते हर समय।
कोई लूटे न लूटे कहो क्या करूँ,
हम लुटाकर मजा लूटते हर समय॥
जीत ही जीत है बाँटने में सदा,
एक क्षण द्वार पर हाथ रुकता नहीं॥
यह पता है कि प्यासे बहुत हैं अभी,
प्यार के बिन उदासी बहुत हैं अभी।
प्यार के नाम पर लूट ही लूट है,
इस तरह के तमाशे बहुत हैं अभी॥
है जरूरत जहाँ वस्तुतः प्यार की,
प्यार की धार एक बार रुकती नहीं॥
इसलिए प्यार की धार बहती सदा,
हर समय धार हर बार सहती सदा।
यह उतर जाये हर प्यास के पंथ में,
प्यार की धार की साथ रहती सदा॥
देखकर हर तड़पती उन्हीं प्यास को,
प्राण से प्रीति बौछार रुकती नहीं॥
प्यार की धार तो खेलती प्राण पर,
बूँद टिकती नहीं शुष्क पाषाण पर।
प्यास की पीर से जो पिघलने लगे,
क्यों नहीं वह हृदय आज इन्सान पर॥
कोई उर्वर धरा तो न प्यासी रहे,
इसलिए यह द्रवित धार रुकती नहीं॥
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