गीत माला भाग ५

छाती तोड़ महान

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छाती तोड़ महान
छाती तोड़ महान परिश्रम, तेरे का परिणाम।
झपट हड़पता रहता है, यह क्रूर विश्व अविराम॥
तू! भूखा, नंगा, रोगी रहता, व्याकुल बेचैन।
पर वह ही- ही हँसता है, लखि तेरे गीले नैन॥
तेरे करुणा पूर्ण दुःखों से, जाता हृदय पसीज।
पर वह झुँझलाता है, उलटा तुझ पर बरबस खीज॥
इस पूँजीमय निर्दय जग का, देख कुटिल व्यवहार।
ज्वाला मुखी! न फट जाना, मिट जायेगा संसार॥
ओ हिमगिरि से श्रमाशील, उपकारी सदय किसान।
देख! शान्त रखना अपना दुःख, पूरित हृदय महान॥

संगीत विश्व का नैतिक विधान है, वह विश्व को दिव्य सौन्दर्य प्रदान करता है। मानव मस्तिष्क में नवीन रंग भरता है और भावनाओं में रंगीन उड़ान, गायनाभिराम सुषमा एवं निराशा के प्रांगण में आनन्द का प्रपात प्रवाहित करता है तथा विश्व के प्रत्येक पदार्थ में जीवन और उत्साह के अभिनव स्फरणों को मुखरित करता है। -(मार्टिन लूथर)
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