चोट पर चोट अब
चोट पर चोट अब और मत दो, हम बहुत चोट खाये हुए हैं।
अब गिरे को न फिर से गिराओ, हम बहुत ही गिराये हुए हैं॥
खोजते- खोजते तुम मिले हो, तुम मिले जिन्दगी मिल गई है।
वह कली जो कि मुरझा गई थी,फूल बनकर के अब खिल गई है॥
तुम बुलाते ही क्यों, इसलिए हम, बिन बुलाये ही आये हुए हैं॥
भीख दे दो भिखारी खड़े हैं, मुस्कुरा दो यही याचना है।
हम तुम्हें पा सकें हर जनम में, बस यही एक आराधना है॥
मत सताये को इतना सताओ, हम बहुत ही सताये हुए हैं॥
बस तुम्हें पूजते ही रहें हम, दान यह माँगते ही रहेंगे।
हमको जो कुछ भी जब भी है कहना,जब कहेंगे तुम्हीं से कहेंगे।
मत लजाये को इतना लजाओ, हम बहुत ही लजाये हुए हैं॥
और कोई न अपना हमारा, हर किसी ने है जीभर के लूटा।
हर कहीं हम सताये गये हैं, भाग्य ही था हमारा जो फूटा॥
हम अभागे पंतगे वही जो, दीपकों के जलाए हुए हैं॥