गीत माला भाग ५

गुरु चरणों में मन मेरे

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गुरु चरणों में मन मेरे
गुरु चरणों में मन मेरे, पायेगा विश्राम।
सद्गुरु चरण धाम हैं सुख के, परम दिव्य अभिराम॥
गुरु के वचन अमृत हैं, रख अटूट विश्वास।
अपना सद्गुरु हर पल प्यारे, रहता अपने पास॥
सद्गुरु की स्मृति अति पावन, पावन सद्गुरु नाम॥
सद्गुरु अपने स्वजन- सनेही, सद्गुरु जीवन प्राण।
कौन दिलाये बिन सद्गुरु के, हमें दुःखों से त्राण॥
सद्गुरु ने ही सदा बनाये सारे बिगड़े काम॥
दिव्य प्रेरणा देकर सद्गुरु, पूरी करते चाह।
ज्ञानामृत का पान कराकर, वही दिखाते राह॥
सद्गुरु का चिन्तन करने से ही मिलता आराम॥
तनिक विचारो अपने सद्गुरु, कैसे परम उदार।
माता- पिता और सद्गुरु, तीनों का देते प्यार॥
स्नेह लुटाकर नित्य, निरन्तर हरते कष्ट तमाम॥
गुरु पूर्णिमा आज शिष्यों में, भरती गुरु की भक्ति।
गुरु के पद्चिन्हों पर चलने की देती है शक्ति॥
गुरु के लिए समर्पित रहकर कर्म करें निष्काम॥
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