जिसने जीवन ज्योति जलाई
जिसने जीवन ज्योति जलाई, नवयुग के निर्माण की।
आओ सब मिल महिमा गायें, इस युग ऋषि श्रीराम की॥
आजादी के लिए लड़ा वह, महामानव के साथ रहा।
बापू के संग कदम मिलाकर, मानव के हित सदा जिया॥
साधना जिसने निशिदिन की थी, जन- जन के कल्याण की॥
हम सुधरेंगे- युग सुधरेगा, हम बदलेंगे- युग बदलेगा।
नर- नारी में समानता होगी, जाति- वंश का भेद मिटेगा॥
जयघोषों के महामंत्र से, ज्योति जलाई ज्ञान की॥
मनुज मात्र को देव बनाने, इस धरती को स्वर्ग बनाने।
बिछड़े हुओ को फिर से मिलाने, दुनियाँ को फिर नई सजाने॥
राह दिखाई जनमानस को, सत्य प्रेम सद्ज्ञान की॥
प्रखर- प्रज्ञा का रूप वही था, शान्तिकुञ्ज का शक्तिपुञ्ज था।
प्रज्ञा युग का निर्माता वह, ज्ञानक्रान्ति का दूत वही था॥
आओ मिलकर करें वन्दना, ऐसे पुरुष महान की॥
जिसने जानी पीर पराई, परहित में निज देह तपाई।
नई चेतना भू- पर लाकर, मानव को नई राह दिखाई॥
याद करें उस परमतत्व को, नवयुग के दिनमान की॥