जो बोले सो हो जाय अभय
जो बोले सो हो जाय अभय, सद्गुरु की जय सद्गुरु की जय।
बोलो मन से होकर निर्भय, युगऋषि की जय युगऋषि की जय॥
हे गुरुवर हम पर दया करो, हे ऋषिवर! हम पर कृपा करो।
दुर्भावों को प्रभु दूर करो, जागृत मन से सद्भाव भरो॥
हो प्रेम भरा निष्पाप हृदय, सद्गुरु की जय...२
युगऋषि युग का संताप हरो, प्राणों में पावन शौर्य भरो।
ऋषिपुत्र बने सत्कार्य करे, सुविचारों का संचार करे॥
सत्साहस के हो साथ विनय, युगऋषि की जय...२
धन- बल पायें या बुद्धि मिले, पर सदुपयोग की वृत्ति खिले।
सद्कर्म करें अभिमान न हो, सद्ज्ञान बढ़े, अज्ञान न हो॥
दुर्गम दोषों पर मिले विजय, सद्गुरु की जय...२
युग की पीड़ा का भान रहे, शुभ कर्तव्यों का ध्यान रहे।
हम अनुशासन में ढल जाये, सच्चे युग सैनिक बन जाये॥
ऋषि गौरव हो फिर से अक्षय, युगऋषि की जय...२
संगीत के पीछे- पीछे खुदा चलता है। - शेखसादी