जब- जब जाग उठी तरूणाई
जब- जब जाग उठी तरुणाई, तब- तब बजी विजय शहनाई।
तरुणाई जागी शंकर की तो, वे भ्रम को दूर कर गये।
तरुणाई जागी समर्थ की, संघर्षों के लिए तन गये॥
जिसने तरुणाई को साधा, उसने सिद्धि अनोखी पाई॥
दयानंद की तरुणाई ने, प्रखर ज्ञान मातण्ड बनाया।
जागी हुई विवेकानंद की, तरुणाई ने रंग दिखाया॥
भारतीय संस्कृति की जग में, उनने धर्म ध्वजा फहराई॥
महारानी लक्ष्मी बाई थी, तरुणाई की अमर कहानी।
भगतसिंह आजाद सरिखे, अजर- अमर वे थे बलिदानी॥
जागी तरुणाई ने इनको, दे उछाल रग- रग कड़काई॥
जागो तरुणाई भारत की, संस्कृति का सम्मान बचाओ।
गौरवमय इतिहास तुम्हारा, उसको फिर से तुम दोहराओ॥
भारत माता ने तुमसे ही, संकट में है आश लगाई॥
संगीत चिकित्सा अपने आप में एक श्रेष्ठ उपचार पद्धति है। - वाङमय १९ पृ. ६.२२