जागो भारत! विश्व राष्ट्र
जागो भारत! विश्व राष्ट्र की करना है अगवानी।
जागो फिर से जगत्गुरु की, गौरवपूर्ण कहानी॥
धर्मधारणा के द्वारा व्यक्तित्व उत्कृष्ट बनाएँ।
और लोकमंगल हित, आध्यात्मिक सद्भाव जगाएँ॥
विश्वधर्म के घटक बनें सब, धर्मों के सम्मानी॥
विद्या का वर्चस्व जगाकर, अंधकार हरना है।
वेदज्ञान की दिव्य ऋचाओं से प्रकाश करना है॥
आग्रेय हो उठे सृजन की पुनः लेखनी वाणी॥
वैज्ञानिक विभूतियाँ फिर से राग- सृजन का गाएँ।
ध्वंस रोककर मनुज, धरा को फिर से स्वर्ग बनाएँ॥
पुनः भाव संवेदन वाली अनुपम सृष्टि रचानी॥
सोने की चिड़िया सा वैभव, फिर भारत में जागे।
अर्थतन्त्र का पौरुष, नैतिकता को कभी न त्यागे॥
शोषण, उत्पीड़न से जगती फिर से मुक्त करानी॥
धर्म- कर्म से विरत हो रही, मानव की क्षमताएँ।
प्रतिभाएँ हो रही संकुचित भोग रहीं सुविधाएँ॥
आध्यात्मिक भारत अब सबको ज्ञान मशाल थमानी॥