गीत माला भाग ६

जो औरों के लिए जिन्दगी

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जो औरों के लिए जिन्दगी
जो औरों के लिए जिन्दगी जीते हैं,
पावन उनके अन्तराल हो जाते हैं।
तब विवेक वे नीर- क्षीर का पाते हैं,
अनजाने वे मन- मराल हो जाते हैं॥
सहज लोक- सम्मान उन्हें मिल जाता है,
जीवन में उत्थान उन्हें मिल जाता है।
जो सेवा, साधना किया करते हरदम,
अनायास भगवान उन्हें मिल जाता है॥
जो औरों के लिए पीसते हैं मेहन्दी,
अनजाने वे हाथ लाल हो जाते हैं॥
स्वार्थ लिप्त के लिए दिव्य वरदान सभी,
भस्मासुर की भाँति शाप बन जाते हैं।
किन्तु लोककल्याण किया करते हैं जो,
गाँधी, बुद्ध समान आप बन जाते हैं॥
मानवता को राह दिखाने की खातिर,
वे मानव जलती मशाल हो जाते हैं॥
होती है जितनी विशालता, उतनी ही,
भर पाती है धार पात्र में पानी की।
सदा पार्थ ही दिव्य धनुष ले पाता है,
सिर्फ शिवा पाता तलवार भवानी की॥
जो औरों के लिए कष्ट सह लेते हैं,
मन उनके नभ से विशाल हो जाते हैं॥
धन्य बनेगा जन्म, भटकते पाँवों को,
अगर कभी हम सही दिशा दे पायें तो।
अगर उफनती धार बह रही नौका को,
उधर कूल तक हम खेकर ले जायें तो॥
मुरझे मुख पर मुस्कान लाने वाले,
महक भरे पावन गुलाल हो जाते हैं॥
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