जिसने भी जीवन में
जिसने भी जीवन में, सत्पथ को अपनाया।
उसने स्वर्गीय वैभव, जीवन में ही पाया॥
सद्गुण से जीवन का, आओ शृंगार करें।
शुचिता, संयम, समता, ममता स्वीकार करें॥
सहयोग, स्नेह, श्रम से, है जीवन लहराया॥
तप, त्याग, तितिक्षा से, जीवन कुन्दन बनता।
संतोष, शांति का सुख, शीतल चन्दन बनता॥
सौजन्य, सदाशयता, नन्दन वन की छाया॥
जन जन की सेवा से, मानव गरिमा बढ़ती।
जनहित में जुटने से, मानव महिमा बढ़ती॥
जन मानस को हरदम, जन सेवक ही भाया॥
धन के बल पर श्रद्धा, विश्वास न मिल पाते।
गुणवानों के ऊपर, वे सहज बरस जाते॥
देवों से पुजती है, गुण से मानव काया॥
सद्गुण को धारण कर, सद्पथ अपनायें तो।
हम दया, क्षमा, करुणा, को मन में लायें तो॥
ऐसे ही जीवन ने, देवों को ललचाया॥