गीत माला भाग ६

जितना तुमने दिया न

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जितना तुमने दिया न
जितना तुमने दिया न उतना, सारा जग हमको दे पाया।
जब- जब एक बूँद जल माँगा, तब तुमने बादल बरसाया॥
जग ने दिए तनाव भरे दिन, रातों में भीषण अँधियारे।
तुमने लौकिक और अलौकिक, काटे सारे कष्ट हमारे॥
हमने केवल किया समर्पण, तुमने अपने शीश चढ़ाया॥
जब हम थे असहाय दे दिया, तुमने सबल सहारा हमको।
हम शापित थे तुमने अपनी, चरण- धूलि से तारा हमको॥
ऐसा प्राण- प्रवाह भर दिया, अब तो अंग- अंग उमगाया॥
इस सूखे मरुस्थल में तुमने, ऐसी संवेदना बहाई।
पल- पल लगने लगी हमें तो, अपनी- सी हर पीर पराई॥
ऐसी कृपा करी जो मन का, हर कोना- कोना सरमाया॥
हमको दिया मनोबल ऐसा, जो चट्टानों से टकराए।
हमें तपाया इतना जिससे, जग में हम कुन्दन कहलाए॥
जो था भार व्यर्थ- सा जीवन, तुमने उसको धन्य बनाया॥
अब तक किया अनुग्रह तुमने, अब कर्तव्य निभाएँगे हम।
ऋण का भार शीश पर अपने, कभी न लेकर जाएँगे हम॥
काम तुम्हारा ही करना है, पग न रहेगा अब अलसाया॥
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