नक्षत्रों के बीच चाँद से
नक्षत्रों के बीच चाँद से, प्रतिकूलों में निर्विवाद से।
युद्धभूमि में जयनिनाद से प्रतिभावानों!
समय की गति को पहचानो॥
समय धार में जल हर पल बढ़ता जाता है।
धारा में इन्सान विवश हो बहता जाता है॥
तेजधार के बीच नाव से, सज्जन के निश्छल स्वभाव से।
विष के विषनाशक प्रभाव से, प्रतिभावानो॥ समय की......॥
देखो चारों ओर घृणा ईर्ष्या फैली है।
सत्पथ में हैं विघ्न दृष्टि सबकी मैली है॥
काँटों में खिल रहे फूल से, माँ के ममतामय दुकूल से।
गुरु की पावन चरण धूलि से, प्रतिभावनों॥ समय की......॥
जिधर देखते उधर सभी बौराए लगते हैं।
तन से अपने, मन से मगर पराए लगते हैं॥
तुम हो पतझर में बहार से, आतप में जल की फुहार से।
चंदन की गंधिल बयार से, प्रतिभावानों॥ समय की......॥
सृजनशील व्रत लेकर तुझको आगे आना है।
ले लो श्रेय सृजन नूतन तो होने वाला है॥
कहीं नहीं होगा प्रमाद फिर, होंगे ऊँचे सिंह नाद फिर।
आएगा अध्यात्मवाद फिर, प्रतिभावानों॥ समय की......॥