नवयुग आना है आना है
नवयुग आना है, आना है, नवयुग आना है।
सतयुग आना है, जल्दी ही, सतयुग आना है॥
नहीं कल्पना मानव की यह, ईश्वर का संकल्प।
उसकी इच्छा पूरी होगी, कोई नहीं विकल्प॥
समझो काली रात समाप्त, सवेरा आना है॥
उल्टी चाल देख दुनियाँ की, मत निराश हो जाओ।
फिर उज्ज्वल भविष्य सम्मुख है, यह विश्वास जगाओ॥
आओ जन- जन में फिर नया, जोश जगाना है॥
मानवता की है पुकार, प्रतिभाएँ आगे आयें।
पलटे उलटी चाल समय की, वह पौरुष दिखलायें॥
वीरों मानवता के हित में, बलि हो जाना है॥
शक्ति- समय कम है यह कहकर, करना नहीं बहाना।
महाशक्ति के, महाकाल के, सहचर बन दिखलाना॥
हमको अपना यह सम्बन्ध, अवश्य निभाना है॥
दुष्प्रवृत्तियों- दुर्भावों को, जड़ से खोद हटाओ।
सत्प्रवृत्तियों- सद्भावों की, पौध नयी पनपाओ॥
अब तो नन्दन वन सा जग को, पुनः बनाना है॥
अनुपम यह अवसर आया है, इसे गँवा मत देना।
कर प्रयास दुर्लभ अनुदानों, से झोली भर लेना॥
अब तो उठो समय के, अग्रदूत कहलाना है॥