गीत संजीवनी- 3

आपका स्वागत है श्रीमान्

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आपका स्वागत है श्रीमान्

आपका स्वागत है श्रीमान।
बड़े भाग्य जो आप बने हैं- हम सबके मेहमान॥

हुए मनोरथ पूर्ण हमारे- माननीय से मिलकर।
चार चाँद लग गये हमारे- इस पावन अवसर पर॥
आज आपके शुभागमन पर- बढ़ी हमारी शान।

हम सबका उत्साह आपने- कितना आज बढ़ाया।
हुए कृतार्थ और हम सबका- मन फूला न समाया॥
किस प्रकार से करें आपका- हम स्वागत सम्मान॥

अभिनन्दन हम करें आपका- उसे करें स्वीकार।
है श्रीमान प्रफुल्लित कितना- शान्तिकुञ्ज परिवार॥
करना क्षमा हुई जो भूलें- अगर कहीं अनजान॥

आज आपको मुख्य अतिथि- कहकर हम सब धन्य हुए।
जो भी भाव हमारे थे वह- सब अनुमन्य हुए॥
इससे बड़े और हो सकते- क्या कोई अनुदान॥

मुक्तक-

अतिथि देव बन आप पधारे, स्वागत हो स्वीकार।
द्वार हमारे आप आ गये- सहज लुटाते प्यार॥

साधन कम पर भाव विह्वल हैं- स्वागत को श्रीमान्।
आशा है स्वीकार करेंगे, भाव सुमन का हार॥

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