गीत माला भाग ३

कर्म सभी का जन्म सिद्ध

<<   |   <   | |   >   |   >>
कर्म सभी का जन्म सिद्ध
कर्म सभी का जन्म सिद्ध, अधिकार मेरे भाई।
फल की चिन्ता करना है, बेकार मेरे भाई॥

अपना- अपना कर्म सभी का, अपना ही फल पाता।
जो जैसा करता है उसको, वैसा ही मिल जाता॥
धर्म यही है करले पर, उपकार मेरे भाई॥

बहना ही है बस नदी का, धर्म निरन्तर होता।
यही समझकर ही किसान है, बीज खेत में बोता॥
नियति चक्र के बस में, यह संसार मेरे भाई॥

सुख पाना चाहे तो, सुख औरों को देना होगा।
शांति अगर चाहे तो जग को, शांत बनाना होगा॥
होता फल रूप तभी, साकार मेरे भाई॥

अभी कैदी सा जीवन जीता, मन का स्वामी बन जा।
अपनी दसों इन्द्रियों पर, तू कस मजबूत शिकंजा॥
हो जायेगा जीवन का, उद्धार मेरे भाई॥

गायन- वादन का प्रभाव मनुष्यों तक ही सीमित नहीं है, वरन उसे पशु- पक्षी भी उसी चाव से पसन्द करते और प्रभावित होते हैं। - सामवेद
<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118