शिक्षा के क्षेत्र के नारी का प्रवेश नया नहीं होगा। घर में और बाहर सभी जगह उसकी सृजनात्मक शक्ति काम करेगी और बालक- बालिकाओं को सही ढंग से शिक्षा मिलेगी। चिकित्सा और समाज कल्याण के क्षेत्र नारी के सहृदयता और स्नेह- सिक्तता के गुणों से लाभान्वित हों हम देश की सच्ची सेवा में तत्पर होंगे।
धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र का नेतृत्व तो नारी को करना ही चाहिए। उसकी आरम्भिक संरचना ही दिव्यता की विशेष मात्रा के साथ की गई है। प्रेम, भक्ति और विशालता से उसका अन्तःकरण अनवरत छलकता रहता है।
नारी का नेतृत्व प्रत्येक क्षेत्र में सहकार, सहयोग, सद्भाव, समर्पण और सेवा के उद्देश्यों का पूरक बनकर आगे आवेग।