युग परिवर्तन कब और कैसे ?

आर्षग्रंथ व कालगणना -अन्य धर्म ग्रंथ और युग निर्माण

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सिख धर्म के आचार्य श्री गुरुगोविन्द सिंह जी महाराज ने अपने दशम् ग्रंथ साहेब में तथा और भी कई जगह कलियुग की समाप्ति का समय सम्वत् 2000 वि. लिखा है ।। इस सम्वत् को उन्होंने सम्वत् कह कर पुकारा है ।।

जबरदस्त पैगम्बर के खलीफा जमास्य ने अपनी पुस्तक 'जामास्यनामा' में लिखा है- जब सूर्य, चन्द्रमा और बृहस्पति कर्क राशि पर आवेंगे, तब एक महान् आत्मा प्रकट होगी वह दुनिया भर में न्याय और आनन्द फैला देगी ।। दुनिया पाप कर्मों को करना छोड़ देगी ।। यही योग श्रीमद्भागवत् मे कलियुग समाप्ति के लिए दिया गया है ।। जो सम्वत् दो हजार में पड़ता है ।। तिब्बत के लामा योगी विश्वास करते हैं कि अब शीघ्र ही चंबाल युग (सतयुग) प्रारम्भ होगा और असत्य के ऊपर सत्य की विजय होगी ।।

यहूदी धर्म ग्रंथों में ऐसे उल्लेख मिलते हैं, जिससे इन्हीं दिनों 'गुएगजर युग' (सतयुग) आरंभ होने वाला है ।। ईरान के बहावी विश्वास करते हैं कि ठीक यह समय सतयुग शुरू होने का है ।।जापानी बौद्धों का विश्वास है कि सन् 1936 ई. से 'अबतिरी' (सतयुग) आरंभ हो गया ।।

'माला बुद कब्लुत कयामत नामक एक अरबी पुस्तक में कयामत आने के पूर्व, चिन्ह इस प्रकार बताये गये हैं- 'निन्द्रा के अतिरिक्त जागृत अवस्था में किसी को शांति न मिलेगी ।। पूर्व वाले पश्चिम के प्रशंसक बनेंगे ।। स्त्रियाँ पुरुषों की बराबरी करेंगी ।। सोने से लोहा मूल्यावान होगा ।। चाँदी जैसी एक और धातु निकल आवेगी ।। हाट बाजार में बैठ कर खाना बुरा न समझा जायेगा ।। स्त्रियाँ लाज पर्दा छोड़कर बाहर फिरेगी ।। लोग दिन चढ़े तक सोया करेंगे ।।

पंक्षियों की तरह आकाश में उड़ना संभव होगा ।। अपने विचारों को जरा सी देर में दूर देशों को भेज देना सुगम होगा ।। खाने के लिए लोहे के हाथ होंगे, चारपाइयाँ भी लोहे की होंगी ।। सवारियों ऐसी होंगी, जिन में जान न होगी पर हजारों मील की यात्रा बहुत शीघ्र कर लेगी ।। माता- पिता का आदर न रहेगा, धर्म न रहेंगे और सूरज सवा नेजे पर आ जायेगा जिसकी रोशनी सब पसंद करेंगे ।' यह सभी बातें आज दिखाई दे रही हैं ।। बिजली की बत्तियों के द्वारा सूरज सवा नेजे पर आ गया है, जिसे सब पसंद करते हैं ।।

मक्के के हमीदिया पुस्तकालय में ''अल्कश्फ वल्कत्मफी मार्फत' पुस्तक रखी हुई है ।। उसमें लिखा हुआ है कि '' जिस समय फूट, कलह और व्यभिचार बहुत बढ़ जावेंगे तब एक पुरुष आवेगा ।। यह आध्यात्मिक शक्तियों से पूर्ण होगा ।। वह अग्नि के अस्त्रों को बेकार कर देगा ।। वह हर जगह विजय प्राप्त करेगा ।। उसे अपनी सेना कहीं ले जाने की आवश्यकता न होगी ।। आत्म शक्ति ही उसके लिए पर्याप्त होगी ।। दुनिया उसकी बात मानेगी ।। वह संसार को स्वर्ग बना देगा ओर बूढ़ों को जवान कर देगा ।''

इसी प्रकार का विवरण '' इमामे आखिकज्जमा' ग्रन्थ में भी मिलता है ।। इस्लाम धर्म की पुस्तकों के अनुसार संवत् 2000 के करीब कयामत आवेगी, कयामत का तात्पर्य यही समझना चाहिए कि '' कोई पापी न रहेगा ।'' मदीने की प्रसिद्ध पुस्तक 'मकसूम बुखारी' में ऐसा उल्लेख है कि ''हिजरी सन् की चौदहवीं शताब्दी के दूसरी तिहाई में कयामत आयेगी और हजरत मेंहदी प्रकट हो जायेंगे ।''

प्रत्येक शताब्दी की एक तिहाई 33 वर्ष 4 मास की होती है ।। दूसरी तिहाई 66 वर्ष 8 मास की हुई ।। संवत् दो हजार विक्रमी की श्रावण अमावस्या को हिजरी सन् 1363 के रजब महीने की 28 तारीख पड़ती है ।। इस प्रकार यह हिसाब महीने भी हिन्दू धर्म पुस्तकों के अनुसार संवत् दो हजार में कलियुग समाप्त होने के मत का समर्थन करता है ।।

समय संबंधी उपरोक्त गणनाओं और उल्लेखों से यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि इस समय हम जिन परिस्थितियों से होकर गुजर रहे हैं, वह संक्रान्ति काल का पुण्य- प्रभात है, जिसमें कलियुग की समाप्ति और सतयुग का शुभारम्भ होता स्फुट जान पड़ता है ।। अगले ही दिनों यदि इसका प्रखर प्रकाश दृश्यमान होने लगे, तो कोई आश्चर्य नहीं करना चाहिए ।।

(युग परिवर्तन कैसे? और कब? 1.9)

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