मंत्रों में शक्ति होती है ।। मंत्रों के अक्षर शक्ति बीज कहलाते हैं ।। उनका शब्द गुन्थन ऐसा होता है कि उनके विधिवत् उच्चारण एवं प्रयोग से अदृश्य आकाश मण्डल में शक्तिशाली विद्युत् तरंगें उत्पन्न होती हैं, और मनःशक्ति तरंगों द्वारा नाना प्रकार के आध्यात्मिक एवं सांसारिक प्रयोजन पूरे होते हैं ।। साधारणतः सभी विशिष्ट मंत्रों में यही बात होती है ।। उनके शब्दों में शक्ति तो होती है, पर उन शब्दों का कोई विशेष महत्वपूर्ण अर्थ नहीं होता ।। पर गायत्री मंत्र में यह बात नहीं है ।। इसके एक- एक अक्षर में अनेक प्रकार के ज्ञान- विज्ञानों के रहस्यमय तत्त्व छिपे हुए हैं ।। 'तत्- सवितुः वरेण्यं- '' आदि के स्थूल अर्थ तो सभी को मालूम है एवं पुस्तकों में छपे हुए हैं ।। यह अर्थ भी शिक्षाप्रद हैं ।। परन्तु इनके अतिरिक्त ६४ कलाओं, ६ शास्त्रों, ६ दर्शनों एवं ८४ विद्याओं के रहस्य प्रकाशित करने वाले अर्थ भी गायत्री के हैं ।। उन अर्थों का भेद कोई- कोई अधिकारी पुरुष ही जानते हैं ।। वे न तो छपे हुए हैं और न सबके लिये प्रकट हैं ।।