(१) व्यासपीठ नमन,
(२) गुरुवन्दना,
(३) सरस्वती वन्दना,
(४) व्यास वन्दना ।
यह चारों कृत्य कर्मकाण्ड के पूर्व के हैं । यजमान के लिए नहीं, संचालक-आचार्य के लिए हैं । कर्मकाण्ड ऋषियों, मनीषियों द्वारा विकसित ज्ञान-विज्ञान से समन्वित अद्भुत कृत्य हैं, उस परम्परा का निर्वाह हमसे हो सके, इसलिए उस स्थान को तथा अपने आपको संस्कारित करने, उस दिव्य प्रवाह का माध्यम बनने की पात्रता पाने के लिए यह कृत्य किये जाते हैं ।