विचार का विज्ञान

 मानव जीवन विचारों का प्रतिबिम्बमनुष्य का जीवन उसके विचारों का प्रतिबिम्ब है। सफलता- असफलता, उन्नति- अवनति, तुच्छता- महानता, सुख- दुःख, शांति- अशांति आदि सभी पहलू मनुष्य के विचारों पर निर्भर करते हैं। किसी भी व्यक्ति के विचार जानकर उसके जीवन का नक्शा सहज ही मालूम किया जा सकता है। मनुष्य... See More

मन को कुविचारों और दुर्भावनाओं से:  शरीर की तरह मन के संबंध में भी लोग प्रायः भूल करते हैं। शरीर को सजाने- सँवारने को महत्त्व देकर लोग उसे स्वस्थ, निरोगी एवं सशक्त बनाने की बात भूल जाते हैं। मन के बारे में भी ऐसा ही होता है। लोग मन को... See More

कोई सद्विचार तभी तक सद्विचार हैं जब तक उसका आधार सदाशयता है, अन्यथा वह असद्विचारों के साथ ही गिना जायेगा। चूँकि मनुष्य के जीवन में हर प्रकार और हर कोटि के असद्विचार विष की तरह ही त्याज्य हैं, उन्हें त्याग देने में ही कुशल, क्षेम, कल्याण तथा मंगल है।      वे... See More

 जब तुम्हारा मन टूटने लगे, तब भी यह आशा रखो कि प्रकाश की कोई किरण कहीं न कहीं से उदय होगी और तुम डूबने न पाओगे, पार लगोगे।चरित्र मानव- जीवन की सर्वश्रेष्ठ सम्पदा है। यही वह धुरी है, जिस पर मनुष्य का जीवन सुख- शान्ति और मान- सम्मान की अनुकूल... See More

मनुष्य विचार शक्ति को जिस दिशा में प्रयुक्त करता है उधर ही आशाजनक सफलता उपलब्ध होने लगती है। चिन्तन की शोध द्वारा अनेकों प्रकार की रहस्यमय प्राकृतिक शक्तियों को जानने और उनको वशवर्ती बनाने में सफलता प्राप्त की गई है, इस शोध कार्य में सारा श्रेय मानव विचार शक्ति का... See More

मनुष्य का जीवन उसके विचारों का प्रतिबिम्ब है। सफलता- असफलता, उन्नति- अवनति, तुच्छता- महानता, सुख- दुःख, शांति- अशांति आदि सभी पहलू मनुष्य के विचारों पर निर्भर करते हैं। किसी भी व्यक्ति के विचार जानकर उसके जीवन का नक्शा सहज ही मालूम किया जा सकता है। मनुष्य को कायर- वीर, स्वस्थ-... See More

 शुभ हो या अशुभ, मनुष्य के हर विचार का एक निश्चित मूल्य तथा प्रभाव होता है। यह बात रसायन- शास्त्र के नियमों की तरह प्रामाणिक है। सफलता- असफलता सम्पर्क में आने वाले दूसरे लोगों से मिलने वाले सुख- दुःख का आधार विचार ही माने गये हैं। विचारों को जिस दिशा... See More

डॉ. एफ. ई. विल्स, डॉ. लेलाड काडल राबर्ट मैक कैरिसन आदि अनेक स्वास्थ्य शास्त्रियों ने दीर्घायु के रहस्य ढूँढ़े। प्राकृतिक जीवन, सन्तुलित और शाकाहार, परिश्रमशील जीवन, संयमित जीवन शतायुष्य के लिए यही सब नियम माने गये हैं, लेकिन कई बार ऐसे व्यक्ति देखने में आये जो इन नियमों की अवहेलना... See More

यों संसार में शारीरिक, सामाजिक, राजनीतिक और सैनिक- बहुत सी शक्तियाँ विद्यमान हैं। किन्तु इन सब शक्तियों से भी बढ़कर एक शक्ति है, जिसे विचार- शक्ति कहते हैं। वह सर्वोपरि है।       उसका एक मोटा सा कारण तो यह है कि विचार- शक्ति निराकार और सूक्ष्मातिसूक्ष्म होती है और अन्य शक्तियाँ... See More

संसार में अधिकांश व्यक्ति बिना किसी उद्देश्य का अविचारपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं किन्तु जो अपने जीवन को उत्तम विचारों के अनुरूप ढालते हैं उन्हें जीवन- ध्येय की सिद्धि होती है। मनुष्य का जीवन उसके भले- बुरे विचारों के अनुरूप बनता है। कर्म का प्रारम्भिक स्वरूप विचार है। अतएव चरित्र... See More




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