गायत्री उपासना कभी भी, किसी भी स्थिति में की जा सकती है। हर स्थिति में यह लाभदायी है, परन्तु विधिपूर्वक भावना से जुड़े न्यूनतम कर्मकाण्डों के साथ की गयी उपासना अति फलदायी मानी गयी है। तीन माला गायत्री मंत्र का जप आवश्यक माना गया है। शौच-स्नान से निवृत्त होकर नियत... See More
मानव- मस्तिष्क बड़ा ही आश्चर्यजनक, शक्तिशाली एवं चुम्बक गुण वाला यन्त्र है। उसका एक- एक परमाणु इतना विलक्षण है कि उसकी गतिविधि, सामर्थ्य और क्रियाशीलता को देखकर बड़े- बड़े वैज्ञानिक हैरत में रह जाते हैं। इन अणुओं को जब किसी विशेष दिशा में नियोजित कर दिया जाता है, तो उसी... See More
यों गायत्री नित्य उपासना करने योग्य है। त्रिकाल सन्ध्या में प्रात:, मध्याह्न, सायं तीन बार उसी की उपासना करने का नित्यकर्म शास्त्रों में आवश्यक बतलाया गया है। जब भी जितनी अधिक मात्रा में गायत्री का जप, पूजन, चिन्तन, मनन किया जा सके, उतना ही अच्छा है, क्योंकि ‘अधिकस्य अधिकं फलम्।’परन्तु... See More
भारतवर्ष में सदा से नारियों का समुचित सम्मान रहा है। उन्हें पुरुषों की अपेक्षा अधिक पवित्र माना जाता रहा है। नारियों को बहुधा ‘देवी’ सम्बोधन से सम्बोधित किया जाता रहा है। नाम के पीछे उनकी जन्मजात उपाधि ‘देवी’ प्राय: जुड़ी रहती है। शान्ति देवी, गंगा देवी, दया देवी आदि ‘देवी’... See More
नर और नारी दोनों ही वर्ग वेदमाता गायत्री के कन्या और पुत्र हैं। साधना चाहे घर पर की जाय अथवा एकान्तवास में रहकर, मन:स्थिति का परिष्कार उसका प्रधान लक्ष्य होना चाहिए। साधना का अर्थ यह नहीं कि अपने को नितान्त एकाकी अनुभव कर वर्तमान तथा भावी जीवन को नहीं, मुक्ति-... See More
कुण्डलिनी की शक्ति के मूल तक पहुँचने के मार्ग में छ: फाटक हैं अथवा यों कहना चाहिए कि छ: ताले लगे हुए हैं। यह फाटक या ताले खोलकर ही कोई जीव उन शक्ति- केन्द्रों तक पहुँच सकता है। इन छ: अवरोधों को आध्यात्मिक भाषा में षट्चक्र कहते हैं।सुषुम्ना के... See More
साधना के लिए स्वस्थ और शान्त चित्त की आवश्यकता है। चित्त को एकाग्र करके, मन को सब ओर से हटाकर तन्मयता, श्रद्धा और भक्ति- भावना से की गई साधना सफल होती है। यदि यह सब बातें साधक के पास न हों, तो उसका प्रयत्न फलदायक नहीं होता। उद्विग्र, अशान्त, चिन्तित,... See More
शरीर में अनेक साधारण और अनेक असाधारण अंग हैं। असाधारण अंग जिन्हें ‘मर्म स्थान’ कहते हैं, केवल इसलिए मर्म स्थान नहीं कहे जाते कि वे बहुत सुकोमल एवं उपयोगी होते हैं, वरन् इसलिए भी कहे जाते हैं कि इनके भीतर गुप्त आध्यात्मिक शक्तियों के महत्त्वपूर्ण केन्द्र होते हैं। इन केन्द्रों... See More
Some extracts from the ancient scriptures are being given here about advantages and importance of Gayatri Sadhana.One can get a glimpse of the advantages which accrue as a result of Gayatri Jap from the following spiritual quotations. It has specifically been enjoined to be essential for brahmans whose main preoccupation... See More
यों गायत्री नित्य उपासना करने योग्य है। त्रिकाल सन्ध्या में प्रात:, मध्याह्न, सायं तीन बार उसी की उपासना करने का नित्यकर्म शास्त्रों में आवश्यक बतलाया गया है। जब भी जितनी अधिक मात्रा में गायत्री का जप, पूजन, चिन्तन, मनन किया जा सके, उतना ही अच्छा है, क्योंकि ‘अधिकस्य अधिकं फलम्।’परन्तु... See More