यज्ञ थेरेपी


यज्ञ चिकित्सा में वे सभी आधार मौजूद हैं जिनसे शारीरिक व्याधियों एवं बीमारियों, मानसिक आधियों एवं विकृतियों का उपचार सम्भव हो सके। प्राचीनकाल में यज्ञ को भौतिक एवं आध्यात्मिक प्रगति का आधार माना जाता था। उसे संकट मोचन का अमोघ अस्त्र कहा जाता था। अनेकानेक लोगों की सुविस्तृत महात्म्य शृंखला यज्ञ प्रक्रिया के साथ जुड़ी हुई है, जिनमें से दो प्रत्यक्ष लाभ ऐसे हैं जिनका जन साधारण से सम्बन्ध हैं।

सांस को नासिका मार्ग से फेफड़े के केन्द्र संस्थान तक पहुँचाने की सड़क मस्तिष्क के विशाल क्षेत्र में होकर ही गुजरती हैं। इस प्रथम प्रयास में स्वभावतः अधिक सामर्थ्य रहती हैं। सांस में भरे हुए तत्वों का सर्वप्रथम सर्वाधिक प्रभाव मस्तिष्क पर ही होता है। ठण्ड लगने पर जुकाम, सिरदर्द होने के कारण यही है कि ठण्डी हवा मस्तिष्क को सर्वप्रथम प्रभावित करती है। धूलि में छींक आने, दुर्गन्ध में सिरदर्द होने लगने, क्लोरोफार्म सूँघने से बेहोश हो जाने जैसे उदाहरण यही बताते हैं कि सांस का पहला चरण मस्तिष्क को ही प्रभवित करता है। स्पष्ट है कि यदि श्वांस मार्ग से मस्तिष्क संस्थान को प्रभावित करने का काम लिया जाय तो उससे न केवल उन्माद, अपस्मार, सिरदर्द जैसे प्रत्यक्ष रोगों का ही उपचार हो सकता है, वरन् मन्द बुद्धि, स्मरण शक्ति की कमी जैसी असमर्थताओं और मनोविकारों की विक्षुब्धताओं के निराकरण का मार्ग खुल सकता है।

यज्ञ चिकित्सा में वे सभी आधार मौजूद हैं जिनसे शारीरिक व्याधियों एवं बीमारियों, मानसिक आधियों एवं विकृतियों का उपचार सम्भव हो सके। प्राचीनकाल में यज्ञ को भौतिक एवं आध्यात्मिक प्रगति का आधार माना जाता था। उसे संकट मोचन का अमोघ अस्त्र कहा जाता था। अनेकानेक लोगों की सुविस्तृत महात्म्य शृंखला यज्ञ प्रक्रिया के साथ जुड़ी हुई है, जिनमें से दो प्रत्यक्ष लाभ ऐसे हैं जिनका जन साधारण से सम्बन्ध हैं। शारीरिक अस्वस्थता एवं मानसिक अस्त- व्यस्तता से निवृत्ति की दो समस्यायें ऐसी हैं, यदि इन्हें सम्भाला- सुधारा जाता है तो समझना चाहिए कि मानव जाति की आधी कठिनाई का हल निकल आया।

परोक्त घटकों के साथ ही एक अन्य महत्त्वपूर्ण शक्ति है यज्ञ ऊर्जा। ऊर्जा का नियन्त्रण यज्ञकुण्डों के आकार द्वारा किया जाता है। ज्यामितीय सिद्धान्तों के अनुसार ही इन कुण्डों का स्वरूप बनाया जाता है। जिससे उत्सर्जित ज्वाला एवं ऊर्जा का प्रभाव सारे वातावरण पर उचित अनुपात में पडे़। विभिन्न औषधियाँ... See More

* Oral medicines - Effect only through digestion. But not fully absorbed.* Negative impact on digestive system.* Intravenous therapies - Quick effect but risk of reaction and side effects.... See More

The yagyopathy laboratory established at Brahmavarchas Research Instt., Shantkunj, haridwar ( India) is unique lab in which search and development facility are available to study the effect of sublimation of herbs with power of mantra chanted during the course of the ritual of Yagya.Highlights of PhD Research Work of Dr.... See More

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Amidst the fascinating achievements of the modern era of science and technology in improving our comfort levels, stress and pollution have posed the major challenge for man. The world is beginning to realize that the comforts provided to us by modern science and technology do not necessarily always make life... See More

 वनौषधियों के पंचांग को कूटकर खाने में उसे बडी़ मात्रा में निगलना कठिन पड़ता हैं। यही स्थिति ताजी स्थिति में कल्क बनाकर पीने में उत्पन्न होती है। इससे तो गोली या वाटिका बना कर सेवन करने में मनुष्य को कम कठिनाई अनुभव होती है। सूखी स्थिति से भी क्वाथ अर्क,... See More

The herbal medicines in yagyopathy work on the principle of magnified potency by subtlization and sublimation.  It is a well-known fact the oral medicines consumed in gross form (e.g. tablets or syrup) have lesser effect as compared to those infused in the blood stream directly by injections. If inhaled through... See More



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