टिप्पणी- हम भगवान को पुकारते हैं, और यहा
शिकायत भी करते हैं कि वे आते नहीं। हमें यह बात समझनी चाहिए
कि कोई श्रेष्ठ व्यक्ति किसी गन्दे स्थान पर आकर बैठना पसंद नही
करता। इसलिए यदि हम भगवान को अपने मन में- हृदय में बिठाना
चाहते हैं तो हमें पहले उसे स्वच्छ निर्मल बनाना पड़ेगा। रामचरित
मानस में भगवान राम स्वयं कहते हैं।
-निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहे कपट छल छिद्र न भावा॥
इस तथ्य को स्पष्ट करते हुए कवि ने लिखा है-
स्थाई- हमने आँगन नहीं बुहारा, कैसे आयेंगे भगवान्।
मन का मैल नहीं धोया तो, कैसे आयेंगे भगवान्॥
हम बाहर खूब सफाई करते हैं, खूब रोशनी फैलती है, किन्तु अपने
अन्दर झाँक कर नहीं देखते कि वहाँ कितना विकार भरा है? कितना अंधेरा फैला है? राग, द्वेष- स्वार्थ मोह आदि ही गंदगी फैलती है। अज्ञान ही अंधेरा फैलाता है, उन्हें हटाने का प्रयास करें तो भगवान् आये।
अ.1- हर कोने कल्मष कषाय की, लगी हुई है ढेरी।
नहीं ज्ञान की किरण कहीं है, हर कोठरी अँधेरी।
आँगन चौबारा अँधियारा, कैसे आयेंगे भगवान्॥
एक कथा है :- एक भक्त भगवान् से शिकायत करता रहता था आप आते क्यों नहीं? दर्शन क्यों नहीं देते। एक दिन भगवान् ने स्वप्न
में संकेत दिया कि आज आऊँगा- मुझे पहचान लेना। भक्त पूजन की
तैयारी के साथ दिनभर बैठे रहे। शाम हो गई भगवान् नहीं आये रात
को दुखी होकर भूखा ही सो गया।
भगवान् ने स्वप्र दिया मै तो एक बार नहीं तीन बार आया तूने न मूझे
पहचाना न आदर किया मैं चला गया। भक्त को याद दिलाया, एक भोला
बालक आया था, उसने कुछ चाहा था, एक भिखारी आया था, एक वृद्ध रोगी
आया था। भगवान ने कहा मेरी सेवा करनी है तो ऐसे अभाव ग्रस्तों
मे मुझे देखकर उनके अभाव मिटाओ हृदय हीनों को मेरी प्राप्ति नही होती। (अपने ढंग से कथा का विस्तार कर सकते हैं।)
अ.2- हृदय हमारा पिघल न पाया, जब देखा दुखियारा।
किसी पंथ भूले ने हमसे, पाया नही सहारा।
सूखी है करुणा की धारा, कैसे आयेंगे भगवान्॥
जिन्होंने भजन पूजा- पाठ के माध्यम से अपना मन निर्मल बनाया उन्होने
प्रभु को अवश्य पाया है, इसके अनेक उपाय पुराणों मे इतिहास मे
भरे पड़े हैं। ईश्वर भी सब जगह है श्रद्धावानों को आदर्शों से
प्रेम करने वालों को ही उसका बोध होता है। इसी बोध को अन्दर के
नेत्र कहा जाता है।
अ.3- अन्तर के पट खोल देख लो, ईश्वर पास मिलेगा।
हर प्राणी में ही परमेश्वर का, आभास मिलेगा।
सच्चे मन से नहीं पुकारा, कैसे आयेंगे भगवान॥
मन को निर्मल अगर बनाया अन्दर जायेंगे भगवान।
सच्चे मन से अगर पुकारों दौड़े आयेगें भगवान॥