संस्कृति की सीता की वापसी

डरावनी अकेली होगी जिन्दगी

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मित्रो! संस्कृति की सीता चली गयी, तो यही हो जायेगा। और क्या हो जायेगा? संस्कृति चली गयी और आदमी को मालदार बना गयी, खुशहाल बना दिया। हाँ साहब! हमें भी मालदार बना दीजिए। हाँ, हम भी आपको बहुत मालदार बना देंगे, आप निश्चिन्त रहिए। कितना मालदार बनायेंगे? बेटे, हम आपको बहुत मालदार बनाने वाले हैं। हम आपको इतना मालदार बनायेंगे, जितने कि अमेरिकन नागरिक हैं। ठीक है, अमेरिका मालदार देश है। वहाँ क्या हो रहा है? बेटे, सारे का सारा अमेरिका, जिसमें से अस्सी फीसदी नागरिकों की बात मैं कहता हूँ, टेंशन में बेतरह दुःखी हैं। टेंशन क्या होता है? तनाव को कहते हैं। तनाव किसे कहते हैं? तनाव उसे कहते हैं कि जब आदमी यह देखता है कि मैं अकेला हूँ। मेरा कोई नहीं और मैं किसी का नहीं हूँ। अपने को जब आदमी अकेला देखता है, तो उसे इतना भय लगता है। जिंदगी इतनी नीरस और डरावनी हो जाती है। आप कोई परमहंस हों, तो मैं नहीं कह सकता, लेकिन सामान्य आदमी हैं, एकाकी हैं, अकेले हैं, आप स्वार्थी हैं, तो आपकी जिन्दगी नरक हो जायेगी।

फिर क्या हो जायेगा? फिर आपके दिमाग पर इतना टेंशन रहेगा कि जिसकी वजह से आपकी नींद हराम हो जायेगी। अमेरिका के अधिकांश नागरिक रात को नींद की गोली खाकर के सोते हैं। काम करने के घण्टे तो किसी प्रकार से निकाल लेते हैं। आठ घण्टे ऑफिस में काम करना पड़ता है, सो वे उतना समय काट लेते हैं। फिर क्या करें? सारी जगह मरघट- सी जिन्दगी दिखाई पड़ती है और सारी दुनिया मरघट- सी दिखाई पड़ती है। इस मरघट में अब हम कहाँ जायें? इधर जायें तो इधर भी आग, उधर जायें, तो उधर भी आग। हर तरफ से जिन्दगी नीरस दिखाई पड़ती है। उस नीरस जिन्दगी में फिर कहाँ जाते हैं? बेटे, कहीं शराबखानों में चले जाते हैं, कहीं क्लबों में चले जाते हैं। कहीं कैबरे हाउस में चले जाते हैं। ये कैबरे हाउस क्या होते हैं? हम क्या बतायें, आप सब जानते हैं। उसमें औरतों को मर्यादा रहित करके नचाया जाता है।

भूत- प्रेतों की दानवीय संस्कृति होगी हावी

    मित्रो ! ये सारे के सारे लोग कौन हैं? ये कौन हैं? भूत। ये कौन हैं? प्रेत। ये कौन हैं? डाकू। ये कौन हैं? हत्यारे। सब नीरस, सारी की सारी दुनिया नीरस। आदमी मशीन के तरीके से भागता हुआ चला जा रहा है। अगले दिनों क्या हो जायेगा? यही हो जायेगा। जो आधुनिक संस्कृति के दीवानों में हो रहा है। आप देव संस्कृति का परित्याग करते चले जा रहे हैं, तो दानवीय संस्कृति आपको यही करेगी। वह आपको पैसा जरूर देगी और सुख- सुविधा के साधन देगी। लंका में ये सुख- सुविधा के साधन क्या कम थे? आप विश्वास रखिए, आपको भी ये सब मिल जायेंगे। विज्ञान जितनी तेजी से बढ़ रहा है और आर्थिक उन्नति के जो साधन चल रहे हैं। बिजली इस कदर पैदा हो रही है कि इससे आपको सुख- सुविधा के वे सभी साधन मिल जायेंगे, जो आप चाहते हैं। जो लंका में थे, वे आपको सब मिल जायेंगे, पर इससे क्या होगा? आप हैरान होंगे।
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