युगसंधि महापुरश्चरण और संकट निवारण

देवियो, भाइयो! बड़ी ही प्रसन्नता की बात है कि इस समय गायत्री महापुरश्चरण की साधना जगह- जगह पर चल रही है। अगर आप विचार करें, तो यह पायेंगे कि यह समय बहुत ही संकटकालीन है। इस समय इस धरती पर महामारी, युद्ध के बादल, वायु- प्रदूषण जैसे अनेक संकट घटाटोप की तरह छाये हुए हैं, जिससे महाप्रलय जैसी स्थिति बनती जा रही है। इस परिस्थिति को देखते हुए हमने आप लोगों को गायत्री महापुरश्चरण करने की सलाह दी थी और इस बात पर जोर डाला था कि आपको यह साधना करनी चाहिए। समय की माँग, समय की पुकार यह है कि इन दिनों वातावरण में जो अवांछनीय तत्त्वों का घुलन एवं मिलन हो गया है, उसे समय रहते निरस्त किया जाय, ताकि जनसाधारण की स्थिति ठीक हो सके एवं सभी को खुले वातावरण में साँस लेने का मौका मिल सके। आवश्यकता इस बात की है कि वातावरण को स्वच्छ बनाया जाय। आज का वातावरण बहुत दूषित हो चुका है। यह ऐसा है, जो बच्चों के मस्तिष्क के ऊपर सीधा प्रभाव डालता है। इसके प्रभाव से वे एक कमजोर आदमी की तरह बहकर कहीं- से जा पहुँचते हैं। वातावरण का परिशोधन इस समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

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