गायत्री मंत्र हमारे साथ- साथ,
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्।
देवियो, भाइयो! मध्यकालीन अंधकार युग समाप्त हुआ। हजार वर्ष तक हमने बार- बार ठोकरें खाईं। हजार वर्ष की गुलामी की ओर अगर हम दृष्टिपात करते हैं, तो आँखों में आँसू भर आते हैं। राजनैतिक, धार्मिक, बौद्धिक, सामाजिक, आर्थिक- प्रत्येक क्षेत्र में हम इस अवधि में भटकते रहे। इन हजार वर्षों में हम इतना कुछ गँवा बैठे कि इसे पूरा करने में हमें काफी समय लगेगा। यह अवसर पिछले समय की बातें करने का नहीं है। अब आवश्यकता इस बात की है कि हम भविष्य का निर्धारण करें और अपनी शक्ति उसी दिशा में नियोजित करें।
भगवान् की इच्छा से अंधकार पूरा समाप्त हुआ। सूर्योदय का समय आया। अब से तीस साल पहले भारत की राजनीतिक स्वाधीनता मिली। अपने भाग्य का निर्माण अपने हाथों करने का समय आया। राजनीति को दो काम सौंपे गये। अर्थव्यवस्था को सुधारना एवं जन- साधारण को उद्दंडता एवं गलत कामों से रोकना, उसे दंड देना। आर्थिक एवं सामाजिक सुव्यवस्था- यही दो काम राजनीति के जिम्मे सौंपे गए। यह मनुष्य के भौतिक जीवन का पक्ष है, जिसकी जिम्मेदारी राजनीति को सौंपी गई।