भज सेवायाम् ही है भक्ति
देवियो, भाइयो! ज्ञानयोग और कर्मयोग इन दो योगों के संबंध में कल और परसों आपको हमने बताया कि आपको ज्ञानयोगी और कर्मयोगी होना चाहिए । ज्ञानयोग अर्थात आपको ऐसा आदमी होना चाहिए जिसे दूरदर्शी और विवेकवान कहते हैं । कर्मयोग अर्थात आपको अपने कर्त्तव्यों और फर्जों को पूरा करने वाला होना चाहिए जैसे कि कर्मठ, बहादुर और जिम्मेदार आदमी हुआ करते हैं । ज्ञानयोग और कर्मयोग के बाद में एक और सबसे बड़ा योगाभ्यास रह जाता है जिसका नाम है "भक्तियोग" । चिंतन में यही योग काम करता है । जीवन में इसका समावेश होना चाहिए । वे योग अलग हैं जिनमें किसी तरह के अभ्यास किए जाते हैं ।
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