जैसे ही स्वामीजी का जहाज कोलम्बो में पहुँचा एक बड़े जन- समूह ने बंदरगाह पर ही उनका स्वागत किया। २- ३ दिन विभिन्न संस्थाओं की तरफ से उनका स्वागत होता रहा। वहाँ से जब वे राजेश्वर के पास रामानंद पहुँचे तो वहाँ के राजा स्वामीजी को एक गाड़ी में बैठाकर अन्य लोगों के साथ स्वयं खींचकर ले गए। उन्होंने इस घटना के स्मरणार्थ समुद्र के किनारे एक ४० फीट ऊँचा कीर्ति स्तंभ बनवाया जिस पर निम्न लेख लिखा गया।
॥ सत्यमेव जयते॥
‘‘पश्चिमी गोलाद्र्ध में वेदांत धर्म का परोपकारी प्रचार कार्य, ज्वलंत और अपूर्व विजय प्राप्त करके, अपने अंग्रेज शिष्यों सहित परमपूजनीय स्वामी विवेकानन्द ने अपने पवित्र चरणों से सर्वप्रथम जहाँ भारतभूमि को स्पर्श किया, उसी के स्मरण में रामानंद के राजा भास्कर सेतुपति ने यह कीर्ति स्तंभ खड़ा कराया।’’