मनुज देवता बने

मित्रो! कल आपको जीवनमुक्ति के बारे में बता रहा था कि आप जीवनमुक्त होकर जिएँ । बंधनों से छूट जाएँ । बच्चा माँ के पेट में बँधा रहता है, बाहर आ जाता है तो कितना खुश! कैदी जेलखाने से छूट जाता है तो कितना खुश हो जाता है और पक्षी पिंजरे में से छूट जाता है, तब कितना खुश होता है! मुक्ति का आनंद ऋषियों ने बताया है कि यह आदमी की जिंदगी का सबसे बड़ा आनंद है । व्यक्ति यदि मुक्ति का स्वच्छंद जीवन जी सकता हो, स्वाधीनता का अनुभव कर सकता हो तो क्या कहने का! पूर्व में मैंने आपको लोभ, मोह और अहंकार के बारे में ये कहा था कि आपके सारे के सारे दुश्मन ये ही हैं, जिनको आपने छाती से लगा रखा है, जिनको मित्र बना रखा है, जिनके सहारे आपने जिदंगी गुजारने का फैसला कर रखा है । आप इन तीनों का तिरस्कार कीजिए इनके चंगुल से छूट जाइए ।

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