महाकाल का शंख बज गया, समय बदलने वाला है

देवियो, भाइयो! प्रातःकाल सुनहरे रंग का सूर्य निकलता है, तो उस समय सबमें उमंगें और नया उत्साह देखा जा सकता है, पक्षी चहचहाते हुए पेड़ों पर देखे जा सकते हैं और हर आदमी की नींद खुलने लगती है। बच्चे उठने लगते हैं और सब आदमी अपने काम पर लग जाते हैं। प्रातःकाल होते ही हरेक के भीतर उमंग और हरेक के भीतर हलचल प्रारम्भ हो जाती है। मित्रो! प्रातःकाल के युग का अब नया सबेरा आरंभ होने जा रहा है। मित्रो! मालूम पड़ता है है कि रात्रि अब समाप्त होने को आ गयी और नया दिनमान शुरू होने वाला है। नया दिन अब हमारे नजदीक आ गया है। हम और आप जिन दिनों में निवास कर रहे हैं, रह रहे हैं, वह प्रातःकाल का समय है। प्रातःकाल की स्वर्णिम ऊषा का चिह्न पीला वस्त्र हमने आपके शरीरों पर पहना दिया है। आप इस मिशन के संदेशवाहक हैं, जो इस बात की घोषणा करती है कि अब नया युग चला आ रहा है। अब समय बदल रहा है, युग बदल रहा है, वक्त बदल रहा है। मनुष्य बदल रहा है, परिस्थितियाँ बदल रही हैं। मित्रो! जिन परिस्थितियों में और जिस ढंग से हम बहुत दिनों से चले आ रहे थे, अब उन

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