देवियो, भाइयो! आज रक्षाबंधन का सामूहिक पर्व है। यह संकल्प का पर्व है। कर्त्तव्य- निर्धारण का पर्व है। आज हमारे ध्यान के दो केन्द्र हैं- एक तो भगवान्, जो हमें धक्का देता रहता है और आगे बढ़ाता रहता है। दूसरा भगवान् आप लोग हैं, जो हमारे कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं। एक भगवान निराकार है तथा दूसरा साकार है। आप साकार भगवान हैं, जो हमारे कदम से कदम मिलाकर चलते हैं। हमारी बातों को मानते हैं तथा श्रम करते हैं। हमारे क्रियाकलापों में शामिल रहते हैं। आज हमारी इच्छा हुई कि आपसे अपने मन की बातें- जी की बातें करूँ। तो महाराज जी आप अपना कुशल समाचार बताएँ।
सर्वजन सहयोग
मित्रो! हमारे ऊपर भगवान् की छाया है और जब तक वह बनी रहेगी, हमारा कुछ बिगड़ने वाला नहीं है। स्वास्थ्य हमारा ठीक है। थोड़े दिन पहले एक पगले व्यक्ति द्वारा वार करने के कारण कुछ चोट लग गयी थी, अब वह ठीक है। सेहत हमारी ठीक है। मन भी ठीक है। साधना भी ठीक है और कुछ कमी रह जाएगी, तो आप लोग कदम बढ़ा देंगे, तो वह भी पूरी हो जाएगी। हमने अब तक बहुत काम किया है। अभी हमारे सामने तो आपको पता नहीं चलता है, परंतु बाद में पता चलेगा कि हमने काफी काम किया है। हमने पेपरबाजी भी नहीं, विज्ञापन भी नहीं किया और भी कुछ नहीं किया, परंतु फिर भी हमने इतना काम कर लिया, जितना किसी संस्था ने नहीं किया। न केवल हिंदुस्तान में, वरन् उसके बाहर भी बहुत काम किया है। हमने ठोस काम किया है।