गीत संजीवनी-4

इस कुल का ये दीपक

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इस कुल का ये दीपक

इस कुल का ये दीपक प्यारा- बालक आयुष्मान हो।
तेजस्वी, वर्चस्वी, निर्भय, सर्वोत्तम विद्वान हो॥

परमभक्त बन परमप्रभु का, अपना यश फैलाये ये।
मात- पिता की सेवा कर- सच्चा सेवक कहलाये ये॥
नाम अमर कर दे जगती में, सर्वगुणों की खान हो।

बने सुमन सा सुन्दर कोमल- सबको सौरभ दान करे।
सूरज सा प्रकाश फैलाकर- सब जग का अंधियार हरे॥
मानव धर्म समझकर चलने वाला चतुर सुजान हो।

विजय चौतरफ जय हो इसकी- पावे सुख सम्मान भी।
शतायु होकर निर्भय हो- करे धर्म हित दान भी॥
देश भक्त हो कर्मवीर हो- जगती में सम्मान हो।

मुक्तक-


हम सबकी शुभ कामना, प्रभु की कृपा महान।
बालक पाए श्रेष्ठ सुख- जीवन का उत्थान॥
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