हे नीलकण्ठ त्रिपुरारी, करते नन्दी की सवारी, वे हमारे शिव हैं।
करते भक्तों की रखवारी, वे हमारे शिव हैं॥
आशुतोष सबके हितकारी, जटाजूट में गंगाधारी।
सुर नर मुनि सब ध्यान लगावें, परम कृपा शंकर की पावें॥
दर्शन जिनका मंगलकारी, अपने भक्तों के दुःखहारी॥
अंग- अंग में भस्म रमाये, सर्प माल उर में लिपटाये।
अंग कान्ति देखत मन मोहे, डमरू अरु त्रिशूल कर सोहे॥
जय जय जय भोले शुभकारी, दुनियाँ कहती है त्रिपुरारी॥
गणपति जिनकी गोद विराजें, कार्तिकेय कन्धे पर साजें।
वाम भाग में शैलकुमारी, वीरभद्र करते रखवारी॥
जिनकी महिमा सबसे न्यारी, चारों वेदों में उजियारी॥
ताण्डव देख भुवन थर्राया, त्रिपुरासुर को मार गिराया।
कालकूट विष पिया भयंकर, रौद्र रूप जिनका प्रलयंकर॥
त्राहिमाम्- त्राहिमाम् पुकारी, सब देवन आरती उतारी॥
मुक्तक-
शिव विग्रह का भक्ति से, करें सदा जो ध्यान।
उनके जीवन का सदा, होता अभ्युत्थान॥