गीत संजीवनी-5

जन्म शताब्दी वर्ष आ गया 1

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जन्म शताब्दी वर्ष आ गया, हम सबके गुरुदेव का।
शिष्य साथियों दौड़ो, आया महापर्व गुरुदेव का॥

कहीं न कोई कोना छूटे, शहर गाँव का छोर हो।
गुरुवर को सब अपना समझें युग विचार चहुँ ओर हो॥
युग साहित्य सभी भाषा में, घर- घर हम पहुँचायेंगे।
हम सब सच्चे युग सैनिक हैं, गुरुवर को बतला देंगे॥
महाक्रान्ति हित खुला निमन्त्रण, है यह तो गुरुदेव का॥

रोज स्वयं की करें समीक्षा, लक्ष्य कहाँ तक हम पहुँचे?
सप्तक्रान्ति के प्रखर सूत्र हम, लेकर क्या घर- घर पहुँचे?
साधक क्या बन पाया जन- जन, देश स्वस्थ बन पाया है?
बना स्वावलम्बी क्या जन- जन, व्यसन मुक्त कहलाया है?
जन जीवन को धन्य बनाने, आमन्त्रण गुरुदेव का॥

मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारे में, युगऋषि की जयकार हो।
दीपयज्ञ से ज्ञानयज्ञ से, धर्मों में सहकार हो॥
गुरुवर की महिमा समझें सब, उनका ही गुणगान करें।
समय और साधन प्रतिभा दें, नवयुग का निर्माण करें।
नवल सृजन का स्वप्न सार्थक कर दें हम गुरुदेव का॥

लक्ष्य एक ही रहे हमारा, एक सूत्र में काम करें।
और न कोई इधर- उधर की, व्यर्थ जरा भी बात करें॥
महाकाल के जयघोषों से, गूँजे घर कोना- कोना।
जन- जन में उत्साह भरेंगे, नहीं करें रोना- धोना॥
महाक्रान्ति का यज्ञ रचाने, विमल पर्व गुरुदेव का॥
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