गीत संजीवनी-7

नमामि मातु भगवतीम्

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(लयः- नमामि भक्त वत्सलम्, कृपालुशील कोमलम्)
नमामि मातु भगवतीं, नमामि देवि भगवतीम्॥

सुमति- सुगति प्रदायिनीं, कृपालु- मोक्ष।
प्रयच्छ मे स्वपदरतिं, नमामि मातु भगवतीम्॥

त्रिताप- दुःख हारिणीं, प्रगति- पुनीतकारिणीम्।
प्रयच्छ में विमलमतिं, नमामि मातु भगवतीम्॥

श्रद्धा सजल- स्वरूपिणीं, विद्या विवेक- रूपिणीम्।
प्रयच्छ आत्मजागृतिं, नमामि मातु भगवतीम्॥

सुकृत सुसिद्ध- सेवितां, युगावतार- वल्लभाम्।
प्रयच्छ मातु दृढमतिं, नमामि मातु भगवतीम्॥

कुवृत्ति- हेतुकालिकां, सुवृत्तिदीप- मालिकाम्।
प्रयच्छ मे परागतिं, नमामि मातु भगवतीम्॥

विमल- हृदय, सुपुष्टि- तुष्टि।
प्रयच्छ मुक्ति- सद्गतिं, नमामि मातु भगवतीम्॥

संगीत समस्त विज्ञानों का मूलाधार है तथा ईश्वर के द्वारा इसका निर्माण विश्व के वर्तमान विसंगतिवादी प्रवृत्तियों के निवारण के लिए हुआ है। -प्लेटो

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