गीत संजीवनी-7

नौजवानों उन्हें याद

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नौजवानों उन्हें याद कर लो जरा।
जो शहीद हो गये इस वतन के लिए॥
जल रही है उन्हीं के लहू सेशमां।
दे रही रोशनी जो चमन के लिए॥

नौजवानों वतन से तुम्हे प्यार है।
तो सुनो शूरवीरों की ये दास्तां॥
राणा, सांगा, शिवाजी, सरीखे बनो।
जुट पड़ो दुश्मनों के दमन के लिए॥

रानी पद्मावती और दुर्गावती।
रजिया सुल्ताना, झांसी की रानी बनो॥
गुड़िया फैशन की या तितलियाँ मत बनो।
ये सबक हर किसी माँ- बहन के लिए॥

चन्द्रशेखर, भगतसिंह, बिस्मिल बनो।
वीर अशफाक, अब्दुल, हमीदों जगो॥
जो चुनौती मिले तुम उसे तोड़ दो।
कुछ भी मुश्किल नहीं, बाँकपन के लिए॥

सोच लो है जवानी- अरे! किस लिए।
मुफ्त व्यसनों में इसको गँवाओ नहीं॥
वीर हो तुम सम्भालो नये मोर्चे।
छोड़ दो कायरों को पतन के लिए॥

भोग का भ्रम भगा दो- तपस्वी बनो।
त्याग की प्यार की- फिर चला दो हवा॥
विश्वगुरु बन दिशा दो जगत को तुम्हीं।
तुम तो विख्यात हो, ऐसे फन के लिए॥

मुक्तक-

त्याग तपस्या की धरती पर, वीरों फिर हुंकार भरो।
अमर शहीदों की गाथा को, फिर से तुम साकार करो॥

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