गीत संजीवनी-9

युवा शक्ति को झकझोरें

<<   |   <   | |   >   |   >>
युवा शक्ति को झकझोरें हम, जागें और जगायें।
युगनायक की जन्म शताब्दी हम इस तरह मनायें॥

शक्ति, तेज, साहस, प्रतिभा के पुञ्ज युवा होते हैं।
किन्तु दिग्भ्रमित होकर अपना होश वही खोते हैं॥
राजनीति में उनका होता रहा निरन्तर शोषण।
मिलता नहीं कहीं पर उनकी प्रतिभाओं को पोषण॥
सृजन मार्ग में उनकी प्रतिभा, क्षमता पुनः लगाएँ॥

स्वस्थ युवा ही किसी राष्ट्र को अपराजेय बनाते।
जिनके हों शालीन युवा, वह राष्ट्र श्रेष्ठता पाते॥
उन्हें स्वावलम्बन का समुचित अर्थ बताना होगा।
सेवा से सुख कैसे मिलता, यह समझाना होगा॥
सबल श्रेष्ठ (हों) सम्पन्न सुखी (हों) हम ऐसा राष्ट्र बनाएँ॥

शिक्षा में हर ओर अविद्या पग- पग पर फैली है।
शिक्षित जन की दृष्टि अर्थ केन्द्रित है मटमैली है॥
उनकी आध्यात्मिक क्षमताओं का विकास जब होगा।
उनके दुःख, अवसाद, तनावों का विनाश तब होगा॥
नए रक्त में अब विद्या का हम संचार कराएँ॥

युवा वर्ग को ज्योतिपुञ्ज की एक झलक दिखलाएँ।
ऋषि के सौंपे सुधा- कोष से परिचित उन्हें कराएँ॥
उस अमृत का स्वाद युवा जब एक बार पाएँगे।
फिसलन, भटकावों के पथ पर पुनः न वे जाएँगे॥
बहुत जरूरी है युवकों तक गुरुवाणी पहुँचायें॥

<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118