काम जब तक तुम्हारा
काम जब तक तुम्हारा अधूरा पड़ा,
हम रुकेंगे नहीं एक पल चैन से।
शूल अनगिन भले ही चुभे पाँव में, उफ् कभी कर सकेंगे नहीं बैन से॥
दर्शनों की लिए लालसा सर्वदा,
आपके ही लिए हम तरसते रहे।
छवि नहीं आपकी जब दिखी तो विवश,
नैन बस मोहवश ही बरसते रहे॥
किन्तु अब आपकी देह के मोह में, डूबकर हम फिरेंगे न बेचैन से॥
प्रेरणा हर निमिष दे सकेगा हमें,
आपका स्वर यहाँ की हवा में मिला।
बस उसी का सहारा लिये लक्ष्य की,
राह बढ़ता रहेगा सदा काफिला ॥
अब वही रूप अनुभव करेंगे जिसे, देख पाए नहीं हम खुले नैन से॥
आप निस्सीम बन विश्वभर के हुए,
आप से हम सतत् आत्मबल पा सकें।
कामना है कि पावन उजाला लिये,
एक नवयुग, नई भोर हम ला सकें॥
जो तिमिर और तूफान से हो भरी, हम डरें अब न ऐसी किसी रैन से॥