बीती विषयों में उमरिया
बीती विषयों में उमरिया भजन बिना।
बीती जाए रे उमरिया भजन बिना।।
बालपन खेलों में खोया, कियो बड़ी नादानी।
आई जवानी की मनमानी, चाल चले मस्तानी॥
सीधी चले न डगरिया, भजन बिना।।
मनचाही शादी कर बेटा, बहू ब्याह कर लाए।
हाथ पकड़कर चले अकड़कर, कुल मर्यादा भुलाए॥
घूमें शहर बजरिया, भजन बिना।।
चन्द रोज में बेटी- बेटा, ससुर दामाद कहाए।
बेटा से बन गयो बाप, दादा को नम्बर आए॥
झुक गई दादा की कमरिया, भजन बिना॥
एक दिन राम नाम सत् हो गयो, हो गई खतम कहानी।
सगे सनेही रोते बाबा, बोल सके न वाणी॥
बन्द हो गई बाबा की नजरिया, भजन बिना।।
पण्डित और पीर पैंगम्बर योगी ग्यानी ध्यानी।
साधू हो या भूप सेठ हो, सबकी यही कहानी॥
सद्गुरु लाए हैं खबरिया, भजन बिना॥