प्यार तुम्हारा ही तो माँ
प्यार तुम्हारा ही तो माँ, इन गीतों में साकार हो गया।
बरसाया पीयूष मरूस्थल, सोने का संसार हो गया॥
गला दिया तुमने निज जीवन, विश्व वाटिका यह लहराई।
आँधी पानी में आँचल ढक, बुझती दीपक शिखा जलाई॥
क्रोध तुम्हारा उमड़ पड़ तो, चण्डी का अवतार हो गया॥
रोती ठोकर खाकर दुनियाँ, थपकी खाकर फिर सो जाती।
उमड़ तुम्हारी करुणाधारा, फूलों पर मोती बिखराती॥
प्यार तुम्हारा तूफानें में, नैया की पतवार हो गया॥
किसे भला अवकाश कि सुन ले, क्षण भर मेरी करुण कहानी।
तुम्हीं न हो तो किन प्राणों में, ढालूँ इन आँखों का पानी॥
हाथ लगा दो करुणामय बस, मेरा बेड़ा पार हो गया॥