माँ शरण में आये हैं
माँ शरण में आये हैं हम तुम्हारी,कर कृपा अब हृदय से लगा लो॥
दोष दुर्गुण हमारे मिटा दो, और निर्मल हृदय अब बना दो।
हम है अज्ञान बालक तुम्हारे,तुम तो ममता की मूरत हो माता।
याद हरदम रहे अब तुम्हारी॥ कर कृपा-
बहुत भटके यहाँ से वहाँ तक, मोह माया के चक्कर में अब तक।
मातु सुनलो हमारी व्यथा को, दूर अज्ञान हम से हटा दो।
बरसे करुणा की धारा तुम्हारी॥ कर कृपा-
हैं तो बालक ही माता तुम्हारे, और जाये माँ किसके दुआरे।
मूढ़मति हम समझ ना सके माँ, जो मिले थे तुम्हारे इशारे।
कर दो भूलें क्षमा अब हमारी॥ कर कृपा-