मातृ स्वरूपा नारी है
मातृ स्वरूपा नारी है, ‘ये’ भाव दिलों में जगाना है।
नारी की लुट रही अस्मिता, इसको आज बचाना है॥
आज देश में मातृशक्ति ये, बाजारों में बिकती है।
क्या- क्या हाल हुआ नारी का, करुण कथा ये लिखती है॥
नारी दुर्गा रूप है हमने इसको नहीं पहचाना है॥
चौराहों पर आज देखिये, गन्दे चित्र चमकते हैं।
कामुकता के दृष्टिकोण से, इसको लोग परखते हैं॥
ऐसे कीचड़ से निकाल, इस शक्ति को चमकाना है॥
दानव रूपी इस दहेज ने, नारी का क्या हाल किया।
अग्नि समर्पित हुई अबलायें, लोगों को कंगाल किया॥
ऐसी कुरीतियाँ समाज की, जड़ से हमें मिटाना है॥
रानी लक्ष्मीबाई जैसी, नारी बड़ी महान हुईं।
देश की रक्षा के निमित्त वह, हँस- हँसकर बलिदान हुईं॥
अब भी बहुत समय है लोगों, इनका कर्ज चुकाना है॥
साधना मार्ग का प्रधान माध्यम संगीत ही है।
संगीत भावों से उत्पन्न होता है।