मंगलमयी गायत्री माता
मंगलमयी गायत्री माता।
करुणा कण जो तेरा पाता, तुम चारों वेदों की माता॥
पाप नाशिनी त्रास नाशिनी, पुण्य प्रभा अन्तर प्रकाशिनी।
पावनता शुचिता सुखदाता, तुम जग पावनि जग विख्याता॥
मुद मंगल मधु दायिनी त्राता, अभय प्रदा सुखद वरदाता।
प्राण त्राण वरदान विधाता, शरणागत हित मुक्ति प्रदाता॥
अक्षय अमृत प्राण वितरणी, शरणागत की तारक तरणी।
तर जाता जन गाता गाता,तुम जग तारिणी सद्गति दाता॥
तू ही पिता बनी तू ही माता, पालक पोषक धारक धाता।
रस प्रकाश से मन भर जाता, पीता अमृत नहीं अघाता॥
मुक्तक- आदि शक्ति माता गायत्री, तुमको कोटि प्रणाम।
हे करुणामयी पापनाशिनी, प्रिय जन मंगल धाम॥