दरबार में सच्चे सद्गुरु
दरबार में सच्चे सद्गुरु के, दुःख दर्द मिटाये जाते हैं।
दुनियाँ के सताये लोग यहाँ, सीने से लगाये जाते हैं॥
यह महफिल है मस्तानों की, हर शक्स यहाँ मस्ताना है।
भर- भर के जाम इबादत के, यहाँ खूब पिलाये जाते हैं॥
ऐ जगवालों तुम डरते हो, इस दर पर शीश झुकाने से।
इस दर पर तो दुनियाँ वालों, सर भेंट चढ़ाये जाते हैं॥
इल्ज़ाम लगाने वालों ने, लाखों इल्जाम लगाये हैं।
पर तेरी सुगन्ध समझकर, हम, सर पर ही उठाये जाते हैं॥
ऐ जगवालों जिन लोगों पर, हो खास इनायत सद्गुरु की।
संदेश उन्हीं को आता है, और वे ही बुलाये जाते हैं॥