माँ! जीवन संगीत सुना दे
माँ! जीवन संगीत सुना दे, आज हमें वह गीत सुना दे॥
जो कण- कण,अणु में गूँजे,जो जल थल नभ में छा जाये।
जो उपवन- उपवन में डोले, जो कानन- कानन लहराये॥
जो आँगन- आँगन में नाचे, जो गृह- गृह में दीप जलाये।
जो पग- पग पर प्रेम बिखेरे, जो जन- जन में जीवन लाये॥
वाणी से अमृत बरसा माँ, प्यासे जग की प्यास बुझा दे॥
जिसको सुनकर मानव के मन, प्राणों में चेतनता आये।
जिसको सुनकर हृदयों में शुचि प्रेम शान्ति सज्जनता आये॥
जिसको सुनकर वाणी में, माधुर्य और कोमलता आये।
जिसको सुनकर जीवन में सुन्दरता और सुखमय आये॥
आज जगजननी! वसुधा पर एक सुधा की धार बहा दे॥
जिसकी लय में जगती का नीरस कोलाहल लय हो जाये।
जिसके स्वर में मानवता का तार- तार झंकृत हो जाये॥
जिसके भावों का आकर्षण मन में भातृभाव उपजाये।
जिसके शब्दों का आयोजन, विश्व प्रेम का पाठ पढ़ाये॥
जो इस जीवन के यात्री को, जनसेवा का मार्ग दिखाये।
जो भूले राही के पथ में, न्याय नीति के दीप जलाये॥
जिसके महाराग को सुनकर मन का राग द्वेष मिट जाये।
जिसके महामंत्र को पाकर मानव जीवन सफल हो जाये।।