युग दृष्टा की सिद्ध लेखनी
युग दृष्टा की सिद्ध लेखनी, प्रकटी युग उत्थान को।
आओ सब मिल सुने ध्यान से, प्रज्ञा कथा पुराण को॥
इस पुराण से जागृत होती, नई चेतना जीवन में।
इस पुराण से मुखरित होती, नव संजीवनी तन- मन में।
कर लें जीवन धन्य ये अपना, सुनकर कथा पुराण को॥
यह पावन अमृत घट जिससे, प्राण संचरित होता है।
इस पुनीत सरिता में मानव, कष्ट पाप सब धोता है॥
पावन कथा सुनें फिर करलें, वरण श्रेष्ठ सद्ज्ञान को॥
आस्था संकट छाया जग में, मनुज लगा उससे घिरने।
रचि महेश सम ऋषि ने इसको, वर्तमान संकट हरने।
श्रद्धा जागृत होती इससे, दूर करे अज्ञान को॥