युग का तो परिवर्तन होगा
युग का तो परिवर्तन होगा, कोई रोक न पायेगा।
नहीं सुधारा खुद को जिसने, वह पीछे पछतायेगा॥
शिव का ताण्डव नृत्य हुआ है, शुरू आज संसार में।
मारकाट और खून खराबी, होगी इसी जहान में॥
बातों से नहीं काम चला तो, प्रभु की लातें खायेगा॥
महाकाल के तेवर समझो, करलो प्रभु का काम सब।
वानर रीछ गिलहरी बनकर, चल लो प्रभु के साथ सब॥
आज खुशी से जुड़ जायेगा, ईश्वर भक्त कहायेगा॥
प्रभु के काम नहीं रुकते है, उनको पूरा होना है।
होंगे काम समय से पूरे, दुष्टों को फिर रोना है॥
असमंजस को छोड़ दे प्यारे, प्रभु से लगन लगाये जा॥
मुक्तक-
आज सिसकती मानवता ने, फिर से तुम्हें निहारा है।
नये सृजन की नई चुनौती, ने तुझको ललकारा है॥