गीत माला भाग १२

युग- युग से इतिहास बताता

<<   |   <   | |   >   |   >>
युग- युग से इतिहास बताता

युग- युग से इतिहास बताता, है गरिमा गुरु ग्राम की।
जहाँ- जहाँ अवतरित हुई थी, सत्ता युग सुख धाम की॥

व्यास, वशिष्ठ, बुद्ध, गुरुनानक, महावीर, चाणक्य, कबीर।
शंकर, रामदास, गुरुगोरख, परमहंस योगी या पीर॥
सबकी जन्म भूमि ने पाई, महिमा गुरु के नाम की॥

सबको ही प्राणों से प्यारा, अपना- अपना गुरुद्वारा।
गुरु की जन्मभूमि की रज को, सबने ही सिर पर धारा॥
महिमा अपरम्पार बताई, सबने ही गुरु ग्राम की॥

आँवलखेड़ा ग्राम अनूठा, महाकाल अवतरित हुए।
तपोनिष्ठ बन वेदमूर्ति बन, जगत्गुरु के शिखर छुए॥
अब तो जग विख्यात हो गई, जन्मभूमि श्रीराम की॥

आँवलखेड़ा जन्म भूमि ने गरिमा कुछ ऐसी पाई।
दिव्य हिमालय की गुरुसत्ता, जहाँ स्वयं चलकर आई॥
बात हुई थी गुरु शिष्य में, मानवता के काम की॥

उगा यहीं ज्ञान का सूरज, फूटी यहीं ज्ञान गंगा।
महाप्राण का गौमुख, जिससे निकली प्रबल प्राण गंगा॥
मुखरित हुई यहाँ युग गीता, कर्म योग निष्काम की॥

जन्मभूमि की माटी लेकर, निकले क्रांति मचाने को।
नगर- नगर में ग्राम- ग्राम में, जागृति शंख बजाने को॥
बिना मिले उज्ज्वल भविष्य के, बात न हो विश्राम की॥

मुक्तक

दरबार हजारों देखें हैं, प्रभु तुम सा कोई दरबार नहीं।
जिस महफिल में तेरा रूप न हो,वह महफिल कभी गुलजार नहीं॥
<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118